एक बार, एक प्रेमी-प्रेमिका एक साथ यात्रा कर रहे थे, नीचे वाली सीट पर बैठकर प्रेम की बाते कर रहे थे. प्रेमिका ने प्रेमी से बोला, “मेरे को हाथ मे दर्द है.” प्रेमी हाथ को चूमकर बोला, अब ठीक हो जाएगा. फिर थोड़ी देर मे प्रेमिका ने दोबारा बोली, “मेरे गाल मे दर्द है.” प्रेमी ने गाल को चूमकर कहा “अब ठीक हो जाएगा”. इतनी देर मे ऊपर वाली सीट से एक बुड्डा बोला : “बेटा, पाइल्स(बवासीर) का भी इलाज करते हो क्या?”
आहट जब भी कोई होती है दिल धक-धक करने लगता है तब काली रात के विराने मे डर मुझे लगने लगता है सूनसान अंधेरो मे कोई हर पल जगाती रहती है न जाने क्यो इस सूनेपन मे कोई अपना मूझे लगने लगता है क्यो जागता रहता हूँ अक्सर कारी -कारी रातो मे क्या ढूँढता रहता हूँ उसको जो अपना लगने लगता है/pre>
ना खेलो इस तरह हमारे ज़ज्बातों से ये कोई खिलोने नहीं दिल में दर्द होता हैं तेरी इस बेरुखी से अपना बनाया तुझे हमने अपनी धड़कन बनाकर मत तोड़ ये बंधन किसी गैर की बातों में आकर जी न सकेगें हम बिन तेरे मेरी साँसों की डोर हैं तुझ संग
तुम मेरी बन्दिगी हो तुम मेरे प्यार की हसरते हो तुम मेरे जीवन की खुशबु हो तुम मेरी सांसो की डोर हो तुम मेरे धडकते दिल की धड़कन हो तुम दिल में खुदा की उकेरी तस्वीर हो तुम बेमुरर्वत थी मेरी जिंदगी तेरे बिना मेरे जीने का संबल हो तुम तुम हो तो हर ख़ुशी है मेरे जीवन में मेरे जीवन की ख़ुशी का सबब हो तुम ना समझना इसे कोरी दिल बहलाने की बातें मेरे अंतर्मन का दर्पण हो तुम
अपनी नज़र से कोई मुझे जगमगा गया महफ़िल में आज सब की निगाहों में छा गया कल तक तो इस हुजूम में मेरा कोई न था लो आज हर कोई मुझे अपना बना गया आता नहीं था कोई परिन्दा भी आस-पास अब चाँद ख़ुद उतर के मेरी छत पे आ गया जो दर्द मेरी जान पे रहता था रात-दिन वो दर्द मेरी ज़िन्दगी के काम आ गया हैरान हो के लोग मुझे पूछते हैं आज तुमको कौन ये जीना सिखा गया
वीरान सी इस जिंदगी को तेरे प्यार से गुलज़ार करना चाहता हूँ गुमसुम से मेरे दिल को तेरी धडकनों से धडकाना चाहता हूँ रोती सिसकती हुयी आँखों को तेरे मुस्कुराते होटों से हँसाना चाहता हूँ मेरी रूठी हुयी किस्मत को तेरे हाथों की लकीरों से चमकाना चाहता हूँ डरी सहमी मेरी सूरत को तेरी बिखरी जुल्फों के पीछे छुपाना चाहता हूँ मेरे मन में बसी तेरी मूरत को इस जहाँ में सबके सामने लाना चाहता हूँ तू मेरी बन्दिगी मेरी इबादत हैं सजदा कर खुदा के सामने ये बात उसे बतलाना चाहता हूँ तू हैं मेरा प्यार, मेरी मोहब्बत तेरी मोहब्बत को भरी महफ़िल में थामकर हाथ तेरा तुझे अपना बनाना चाहता हूँ
प्रणय निवेदन की प्यासी मैं प्राणप्रिये तुम्हारी दासी मैं मुझसे इतनी बेरुखी क्यूँ सुख दुःख की तेरी साथी मैं हर लम्हा संग तेरे चाहू बिताना उमंग तरंग संग चहचहाती मैं जन्म जन्म का रिश्ता तुझ संग तेरी अर्धांगिनी कहलाती मैं मेरे ज़ज्बातो की कद्र कर तेरे संग हर वक़्त प्रीत निभाती मैं तेरा मेरा रिश्ता हैं ऐसा जैसे "दिया" तू "बाती" मैं
छोडके चले गए अनजान की तरह जिसे अपनी हाल बता बैठे वो बड़े नटखट दिल वाले थे जिससे हम दिल लगा बैठे शुक्र खुदा का क्या मनाऊं जब मेरी भलाई नहीं इसमें दुनियां-जहाँ भी दुश्मन बना जगह-जगह कांटा बिछा बैठे क्या क़द्र नहीं मेरी यहाँ या कद्र नहीं है प्यार का जिस की जगह दिल थी बहुत वही सजा हमारा सुना बैठे अब घुट-घुट के जीना क्या जहर जुदाई पीना क्या आँसू के कतरों ने आवाज दिया क्यों खुद को इस तरह जला बैठे वो बड़े नटखट दिलवाले थे जिससे हम दिल लगा बैठे.....
उसकी बाँहों में इस तरह गुजरी आज रात पता न चला कैसे हुआ सुबह साथ-साथ क्या प्यार में ऐसा ही होता सभी को खो जाते हैं बहुत दूर, होता गजब एहसास चूमना उसके सर को, फिरना बालों में हाथ जन्नत नज़र आता, उसमें जाने है कैसी बात उसकी बाहों में इस तरह गुजरी आज रात ठहर जा ए वक्त तुझे है मेरी कसम साथ रहना चाहते हम जन्मों-जनम मुझे चाहिए न कोई चाँद न तारों की बारात बस हर लम्हा बीते मेरा अपनी जिंदगी के साथ उसकी बाँहों में इस तरह गुजरी आज रात.
पलों को गुजरना ही होगा.... दिलों को सँभलना ही होगा........ चाहे जिन्दगी तक ले जाये या मौत तक अब इन राहों पर चलना ही होगा... सूरज को निकलना ही होगा..... शामों को ढलना ही होगा........ बरस जाये बादल या ठहर जाये अब मौसमों को बदलना ही होगा दिनेश गुप्ता 'दिन'
हर बार टुटा हूँ मैं, हर बार लुटा हूँ मैं, फिर भी जी जान से जुटा हूँ मैं........ hindi sms for love [ शायद यही मुहब्बत है ] हर बार चला हूँ मैं, हर बार ठहरा हूँ मैं हर बार निखरा हूँ मैं, हर बा 30 बिखरा हूँ मैं हर बार उगा हूँ मैं, हर बार ढला हूँ मैं हर बार छला हूँ मैं, हर बार जला हूँ मैं, फिर भी इन राहों पर हर बार चला हूँ मैं [ यही मुहब्बत है ] दिनेश गुप्ता 'दिन'