प्यार तो मचलता रहा, अरमान उमड़ते रहे धीरे धीरे, तेरö60940 जुदाई में भी मेरी धड़कन मगर चलती रही धीरे धीरे .... रात की तन्हाई जगाती है मिलन की कसक धीरे धीरे , तेरे बगैर चांदनी भी मुझे तडपाने लगी है मगर धीरे धीरे
दस्तक हो रही है मेरी दिल के द्वार पे तेरे आहटें हो रही है तेरी दिल के दर पर मेरे हूँ मैं यहीं कहीं तेरे ही आसपास है तू यहीं कहीं मेरे ही आसपास न तुझको मैं दिखती न मुझको तू दिखता फिर भी न जाने क्यूँ इक अनजाना बंधन महसूस हो रहा है कभी मेरे ख्वाब सा कभी उलझे जवाब सा।
आशियाना जो दिल ने बसना चाहा, सारी दुनिया ने उसे मिटाना चाहा, वो जाने क्यूँ हमसे दूर होते चले गए, जिन्हें हमने सिर्फ अपना बनाना चाह1000ा.
उसे केहना आज मेरे लिये ज़रूरी है कि 2faबिन तुम्हारे ज़िंदगी मेरी अधूरी है मैंनें हमेशा और हरदम ही चाहा है तुम्हें तुमने माना या नहीं, मैंने सराहा है तुम्हें
कर गया ना इश्क बर्बाद? . .. ... और गीत गाओ महोब्बत के! मैं तो चिराग हूँ, तेरे आशियानों का कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा; आज तुझे शिकायत है, मेरे उजाले से, कल 'अँधेरे' में बहुत याद आऊंगा! तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है; तेरी याद बहुत बेकरार करती है; वह दिन जो तेरे साथ गुज़ारे थे; नज़रें तलाश उनको बार-बार करती हैं!
तेरी नाराजगी में भी मुहब्बत है.. ये लोग क्या जाने.. तेरी सजा में भी एक मजा है.. ये लोग क्या जाने.. कहती ही की बात नहीं करोगी मुझसे बात करने को तुम भी तड़पती हो ये लोग क्या जाने.. करती हो मुहब्बत मुझसे बेपनाह तुम भी.. पर छुपाना भी एक अदा है तुम्हारी ये लोग क्या जाने"..
मी जर नसेन तेव्हा... मी जर नसेन तेव्हा... कुणाशी भांडशील? मी जर नसेन तेव्हा... कुणावर वैतागशील? मी जर नसेन तेव्हा... कुणाच्या वेडेपणावर हसशील? मी जर नसेन तेव्हा... आठवणीने हळहळशील का? मी जर नसेन तेव्हा... नसण्याने माझ्या दोन टीपे गाळशील का? मी जर नसेन तेव्हा... एकदा तरी मला परत ये म्हणशील का?
1) सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!! 2) जो मैं रूठ जाऊँ तो तुम मना लेना, कुछ न कहना बस सीने से लगा लेना। 3) आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें, सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है ! 4) हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम, फिर वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम. 5) सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा, जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है.!
ये दिल किसी को पाना चाहता है और उसे अपना बनाना चाहता है, खुद तो चाहता है ख़ुशी से धड़कना उसका दिल भी धड़काना चाहता है, जो हँसी खो गई थी बरसों पहले कहीं फिर उसे लबों पर सजाना चाहता है, तैयार है प्यार में साथ चलने के लिए उसके हर गम को अपनाना चाहता है, मोहब्बत तो हो ही गई है अब तो, पर अब उसी से ही ये छिपाना चाहता है, ये दिल अब किसी को पाना चाहता है और उसे सिर्फ अपना बनाना चाहता है.
ये रात में मोटरसाइकील के पीछे कुत्ते ऐसे तेजी से भागते हैं, जैसे . . . . अगले चौराहे पे 2 झापड़ मार के गाडी छीन ही लेंगे
एक जुर्म हुआ है हमसे एक यार बना बैठे है . कुछ अपना उसको समझकर सब राज बता बैठे है . फिर उसकी प्यार की राहों में दिलो जान गवां बैठे है . वो याद बहुत आते है जो हमको भुला बैठे है