प्रणय निवेदन की प्यासी मैं
प्राणप्रिये तुम्हारी दासी मैं
मुझसे इतनी बेरुखी क्यूँ
सुख दुःख की तेरी साथी मैं
हर लम्हा संग तेरे चाहू बिताना
उमंग तरंग संग चहचहाती मैं
जन्म जन्म का रिश्ता तुझ संग
तेरी अर्धांगिनी कहलाती मैं
मेरे ज़ज्बातो की कद्र कर
तेरे संग हर वक़्त प्रीत निभाती मैं
तेरा मेरा रिश्ता हैं ऐसा
जैसे "दिया" तू "बाती" मैं