उसके क़दमों मेंउसके क़दमों में अब हयात रख केलौट आया मैं दिल की बात रख केये क्या कम है इतना जी गया हूँ मैंउसके ग़म को अपने साथ रख केवफ़ा ना कर पाया तेरी यादों से भी रुखसत करता हूँ इन्हें रात रख केलिख के इक ग़ज़ल फिर तुम्हारे लिएसो गया हूँ सिरहाने जज़्बात रख केरूह फिर से छटपटाने सी लगी हैवो आ बैठा है क़ब्र पे हाथ रख के