दरिया का सारा नशा:

SHARE

दरिया का सारा नशा
दरिया का सारा नशा उतरता चला गया
मुझको डुबोया और मैं उभरता चला गया
वो पैरवी तो झूठ की करता चला गया
लेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गया
हर साँस उम्र भर किसी मरहम से कम न थी
मैं जैसे कोई जख्म था भरता चला गया

SHARE