इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को हैइब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को हैसब्र रुख़्सत हो रहा है इज़्तिराब आने को हैअनुवादइब्तिदा-ए-इश्क़ = इश्क़ की शुरुआलुत्फ़-ए-शबाब = जवानी का मज़इज़्तिराब = बेचैन
तेरा एहसान हम कभी चुका नहीं सकतेतेरा एहसान हम कभी चुका नहीं सकतेतू अगर माँगे जान तो इंकार कर नहीं सकतेमाना कि ज़िंदगी लेती है इम्तिहान बहुततू अगर हो हमारे साथ तो हम कभी हार नहीं सकते
माना कि किस्मत पे मेरा कोई ज़ोर नहीमाना कि किस्मत पे मेरा कोई ज़ोर नहीपर ये सच है कि मोहब्बत मेरी कमज़ोर नहीउसके दिल में, उसकी यादो में कोई और है लेकिनमेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नही
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगाअपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगाजिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँढूँगातुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की दहलीज़ पर रखनामैं भी रोज़ एक ख़्वाब तुम्हारे शहर की जानिब भेजूँगा
उसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों मेंउसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों मेंइलाही उस के आने तक मेरी आँखों में दम रखना
तू महक बन कर मुझ से गुलाबों में मिला करतू महक बन कर मुझ से गुलाबों में मिला करजिसे छू कर मैं महसूस कर सकूँतू मस्ती की तरह मुझ से शराबों में मिला करमैं भी इंसान हूँ, डर मुझ को भी है बहक जाने काइस वास्ते तू मुझ से हिजाबों में मिला कर