कुछ चंद लम्हें ज़िंदगी के ज़िंदगी को मायनों से भर देते हैंकुछ चंद लम्हें ज़िंदगी के ज़िंदगी को मायनों से भर देते हैंवरना ज़िंदगी तो अक्सर यूँ ही बेमानी सी गुज़र जाती है
तेरी किताब के हर्फ़े:तेरी किताब के हर्फ़ेतेरी किताब के हर्फ़े समझ नहीं आतेऐ ज़िन्दगी तेरे फ़लसफ़े समझ नहीं आतेकितने पन्नें हैं, किसको संभाल कर रखूँऔर कौन से फाड़ दूँ सफे, समझ नहीं आतेचौंकाया है ज़िन्दगी यूँ हर मोड़ पर तुमनेबाक़ी कितने हैं शगूफे समझ नहीं आतेहम तो ग़म में भी ठहाके लगाया करते थेअब आलम ये है कि लतीफे समझ नहीं आतेतेरा शुकराना जो हर नेमत से नवाज़ा मुझकोपर जाने क्यों अब तेरे तोहफ़े समझ नहीं आते
Hindi Shayari, Ruh ke rishto kiरूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखियेचोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँचाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तोंजब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ
True Shayari, Jab bhi dekhta huजब भी देखता हूँ .किसी गरीब को हँसते हुए .तो यकीन आ जाता है .की खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं होता.