दरिया का सारा नशा: SHARE FacebookTwitter दरिया का सारा नशादरिया का सारा नशा उतरता चला गयामुझको डुबोया और मैं उभरता चला गयावो पैरवी तो झूठ की करता चला गयालेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गयाहर साँस उम्र भर किसी मरहम से कम न थीमैं जैसे कोई जख्म था भरता चला गयाMore SHARE FacebookTwitter Tagsचेहरा पर शायरी
उलझनों और कश्मकश में: उलझनों और कश्मकश में, उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ; ए जिंदगी तेरी हर चाल के लिए, मैं दो चाल लिए बैठा हूँ, लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का; म.......Read Full Shayari
ज़हर देता है कोई: ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है, जो भी मिलता है, मेरा दर्द बढ़ा देता है; किसी हमदम का, सरे शाम ख़याल आ जाना, नींद जलती हुई आँखों की उड़ा देता है;Read Full Shayari
उसके क़दमों में: उसके क़दमों में अब हयात रख के, लौट आया मैं दिल की बात रख के; ये क्या कम है इतना जी गया हूँ मैं, उसके ग़म को अपने साथ रख के; वफ़ा ना कर पाया त.......Read Full Shayari
दरिया का सारा नशा: दरिया का सारा नशा उतरता चला गया, मुझको डुबोया और मैं उभरता चला गया; वो पैरवी तो झूठ की करता चला गया, लेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गया; हर.......Read Full Shayari
दुश्मन को भी सीने से: दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं भूले, हम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले; तुम आँखों की बरसात बचाये हुये रखना, कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले;Read Full Shayari
ख़ुदा की मोहब्बत को: ख़ुदा की मोहब्बत को फ़ना कौन करेगा, सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा; ऐ ख़ुदा मेरे दोस्तों को सलामत रखना, वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा;Read Full Shayari