मैं खुद भी सोचता हूँ..मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल हैजिसका जवाब चाहिए, वो क्या सवाल हैघर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न थाक्या मुझसे खो गया है, मुझे क्या मलाल हैआसूदगी से दिल के सभी दाग धुल गएलेकिन वो कैसे जाए, जो शीशे में बल हैबे-दस्तो-पा हू आज तो इल्जाम किसको दूँकल मैंने ही बुना था, ये मेरा ही जाल हैफिर कोई ख्वाब देखूं, कोई आरजू करूँअब ऐ दिल-ए-तबाह, तेरा क्या ख्याल है
This is a great सोचता हूँ शायरी.