गुलों के साथ अजल के..गुलों के साथ अजल के पयाम भी आएबहार आई तो गुलशन में दाम भी आएहमीं न कर सके तज्दीद-ए-आरज़ू वरनाहज़ार बार किसी के पयाम भी आएचला न काम अगर चे ब-ज़ोम-ए-राह-बरीजनाब-ए-ख़िज़्र अलैहिस-सलाम भी आएजो तिश्ना-ए-काम-ए-अज़ल थे वो तिश्ना-काम रहेहज़ार दौर में मीना ओ जाम भी आएबड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए 'ताबाँ'रह-ए-हयात में ऐसे मक़ाम भी आए
This is a great गुलशन की शायरी. If you like गुलशन पर शायरी then you will love this. Many people like it for किसी की चाहत शायरी. Share it to spread the love.