वो खफा है तो कोई बात नहींइश्क मोहताज-ए-इल्त्फाक नहींदिल बुझा हो अगर तो दिन भी है रात नहींदिन हो रोशन तो रात रात नहींदिल-ए-साकी मैं तोड़ू-ए-वाइलजा मुझे ख्वाइश-ए-नजात नहींऐसी भूली है कायनात मुझेजैसे मैं जिस्ब-ए-कायनात नहींपीर की बस्ती जा रही है मगरसबको ये वहम है कि रात नहींमेरे लायक नहीं हयात "ख़ुमार"और मैं लायक-ए-हयात नहीं
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