ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने..ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गएवो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गएवीरान है सहन ओ बाग़ बहारों को क्या हुआवो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गएहै नज्द में सुकूत हवाओं को क्या हुआलैलाएँ हैं ख़मोश दीवाने किधर गएउजड़े पड़े हैं दश्त ग़ज़ालों पे क्या बनीसूने हैं कोह-सार दीवाने किधर गएवो हिज्र में विसल की उम्मीद क्या हुईवो रंज में ख़ुशी के बहाने किधर गएदिन रात मयकदे में गुज़रती थी ज़िन्दगी'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए
This is a great आशिक़ी शायरी. If you like उम्मीद भरी शायरी then you will love this. Many people like it for उम्र की शायरी.