हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं हैएक तू ही नहीं हैनज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैंख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैंकहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं हैहर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक हैहर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक हैतू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं हैहसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं हैयादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं हैयादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है
This is a great ज़माने पर शायरी.