मैं इस उम्मीद पे डूबा..मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगाअब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगाये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगाढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता लेगामैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगाकोई चिराग नहीं हूँ जो फिर जला लेगाकलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिएजो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगामैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसेसुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी जला लेगाहज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता 'वसीम'मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
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