मैं इस उम्मीद पे डूबामैं इस उम्मीद पे डूबा..मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगाअब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगाये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगाढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता लेगामैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगाकोई चिराग नहीं हूँ जो फिर जला लेगाकलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिएजो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगामैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसेसुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी जला लेगाहज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता 'वसीम'मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
मैं इस उम्मीद पे डूबा के तू बचा लेगामैं इस उम्मीद पे डूबा के तू बचा लेगाअब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगाये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगाढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता लेगामैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगाकोई चराग़ नहीं हूँ जो फिर जला लेगाकलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिएजो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगामैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसेसुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी जला लेगाहज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता वसीममैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
आज तक है उसके लौट आने की उम्मीदआज तक है उसके लौट आने की उम्मीदआज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगहलाख ये चाहा कि उसे भूल जायेँ परहौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह
उम्मीद तो मंज़िल पे पहुँचने की बड़ी थीउम्मीद तो मंज़िल पे पहुँचने की बड़ी थी, तक़दीर मगर न जाने कहाँ सोयी पड़ी थीखुश थे कि गुजारेंगे रफाकत में सफ़र, तन्हाई मगर अब बाहों को फैलाये खड़ी थी
एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसेएक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसेवही फ़ासले बनाते गयेहम तो पास आने की कोशिश में थेना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये
कोई उम्मीद बर नहीं आतीकोई उम्मीद बर नहीं आती;कोई सूरत नज़र नहीं आती;मौत का एक दिन मु'अय्यन है;नींद क्यों रात भर नहीं आती