​वफ़ा के ख्वाब

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​वफ़ा के ख्वाब..
वफ़ा के ख्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा
अगर चला है तो जो कुछ मुझे दिया है ले जा
मक़ाम-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ आ गया है फिर जानम
यह ज़ख़्म मेरे सही तु तीर उठा ले जा
यही है क़िस्मत-ए-सहारा यही करम तेरा
कि बूँद​-बूँद अदा कर घटा-घटा ले जा
गुरुर-ए-दोस्त से इतना भी दिलशिकस्ता ना हो
फिर उठ के सामने दामन-ए-इल्तजा ले जा
नादमतें हों तो सर बार-ए-दोष होता है
'फ़र्ज़' जान के एवज़ आबरू बचा ले जा

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