वफ़ा के ख्वाबवफ़ा के ख्वाब..वफ़ा के ख्वाब मुहब्बत का आसरा ले जाअगर चला है तो जो कुछ मुझे दिया है ले जामक़ाम-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ आ गया है फिर जानमयह ज़ख़्म मेरे सही तु तीर उठा ले जायही है क़िस्मत-ए-सहारा यही करम तेराकि बूँद-बूँद अदा कर घटा-घटा ले जागुरुर-ए-दोस्त से इतना भी दिलशिकस्ता ना होफिर उठ के सामने दामन-ए-इल्तजा ले जानादमतें हों तो सर बार-ए-दोष होता है'फ़र्ज़' जान के एवज़ आबरू बचा ले जा
रात के ख्वाब सुनाए किस को रात के ख्वाब सुहाने थेरात के ख्वाब सुनाए किस को रात के ख्वाब सुहाने थेधुंधले धुंधले चेहरे थे पर सब जाने पहचाने थेजिद्दी वहशी अल्हड़ चंचल मीठे लोग रसीले लोगहोंठ उन के ग़ज़लों के मिसरे आंखों में अफ़साने थेये लड़की तो इन गलियों में रोज़ ही घूमा करती थीइस से उन को मिलना था तो इस के लाख बहाने थेहम को सारी रात जगाया जलते बुझते तारों नेहम क्यूं उन के दर पे उतरे कितने और ठिकाने थेवहशत की उन्वान हमारी इन में से जो नार बनीदेखेंगे तो लोग कहेंगे 'इन्शा' जी दीवाने थे
एक रात वो मिले ख्वाब मेंएक रात वो मिले ख्वाब मेंहमने पुछा क्यों ठुकराया आपनेजब देखा तो उनकी आँखों में भी आँसू थेफिर कैसे पूछते क्यों रुलाया आपने
बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयीबढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयीवो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयीअब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमकजो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैहकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है;शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है;कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम;और एक वो है, जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैहकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैशिकायत करो तो उनको मजाक लगता हैकितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं हमऔर एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है