पढ़ने को दिल की इबारत

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पढ़ने को दिल की इबारत
नही होती लफ़्ज़ों की ज़रूरत
नज़रें ही काफ़ी हैं पढ़ने को
ऐसा कोई चेहरा खूब सूरत!
कोई हल्का सा शिकन भी
शिकवा भी पता चलता है
हो जाए अगर तेरी एक
उड़ती हल्की सी ज़ियारत !

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