पढ़ने को दिल की इबारतपढ़ने को दिल की इबारतनही होती लफ़्ज़ों की ज़रूरत नज़रें ही काफ़ी हैं पढ़ने कोऐसा कोई चेहरा खूब सूरत!कोई हल्का सा शिकन भीशिकवा भी पता चलता हैहो जाए अगर तेरी एकउड़ती हल्की सी ज़ियारत !