दोस्ती शायरी

मेरी रातों की राहत

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मेरी रातों की राहत

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किस को क़ातिल मैं कहूँ

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गुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगे

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कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम

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मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में

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