सख़्तियाँ करता हूँ दिल परसख़्तियाँ करता हूँ दिल पर..सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैंहाय क्या अच्छी कही ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैंहै मेरी ज़िल्लत ही कुछ मेरी शराफ़त की दलीलजिस की ग़फ़लत को मलक रोते हैं वो ग़ाफ़िल हूँ मैंबज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न होतू तो इक तस्वीर है महफ़िल की और महफ़िल हूँ मैंढूँढता फिरता हूँ ऐ 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
किस को क़ातिल मैं कहूँकिस को क़ातिल मैं कहूँ..किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँसब यहाँ दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूवो भी क्या दिन थे कि हर वहम यकीं होता थाअब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँदिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठेऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँज़ुल्म ये है कि है यक्ता तेरी बेगानारवीलुत्फ़ ये है कि मैं अब तक तुझे अपना समझूँ
कोई कैसा हम सफर हैकोई कैसा हम सफर है..कोई कैसा हम सफर है, ये अभी से मत बताओअभी क्या पता किसी का, कि चली नहीं है नावये ज़रूरी तो नहीं है, कि सदा रहे मरासिमये सफर की दोस्ती है, इसे रोग मत बनाओमेरे चारागर बहुत हैं, ये खलिश मगर है दिल मेंकोई ऐसा हो कि, जिस को हों अज़ीज़ मेरे घावतुम्हें आईना गिरी में है, बहुत कमाल हासिलमेरा दिल है किरच किरच, इसे जोड़ के दिखाओमुझे क्या पड़ी है 'साजिद', के पराई आग मांगूमैं ग़ज़ल का आदमी हूँ, मेरे अपने हैं अलाव
शायद अभी है राख में कोईशायद अभी है राख में कोई..शायद अभी है राख में कोई शरार भीक्यों इंतज़ार भी है इज़्तिरार भीध्यान आ गया है मर्ग-ए-दिल-ए-नामुराद कामिलने को मिल गया है सुकूँ भी क़रार भीअब ढूँढने चले हो मुसाफ़िर को दोस्तोहद-ए-निगाह तक न रहा जब ग़ुबार भीहर आस्ताँ पे नासियाफ़र्सा हैं आज वोजो कल न कर सके थे तेरा इन्तज़ार भीइक राह रुक गई तो ठिठक क्यों गई आदआबाद बस्तियाँ हैं पहाड़ों के पार भी
इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दियाइश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दियाऐ ख़याल-ए-दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दियाज़र्रे ज़र्रे ने मेरा अफ़्साना सुन कर दाद दीमैंने वहशत में जहाँ को तेरा शैदा कर दियातूर पर राह-ए-वफ़ा में बो दिए काँटे कलीमइश्क़ की वुसअत को मस्दूद-ए-तक़ाज़ा कर दियाबिस्तर-ए-मशरिक़ से सूरज ने उठाया अपना सरकिस ने ये महफ़िल में ज़िक्र-ए-हुस्न-ए-यक्ता कर दियामुद्दा-ए-दिल कहूँ 'एहसान' किस उम्मीद परवो जो चाहेंगे करेंगे और जो चाहा कर दिया
मोहब्बतों में दिखावे कीमोहब्बतों में दिखावे की..मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिलाअगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिलाघरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थेबहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिलातमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया थाफिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना मिलाबहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भीवो मेरे साथ रहा और मुझे कभी ना मिलाखुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंनेबस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला