तकदीरें बदल जाती हैंतकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद होवर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है 'तकदीर' को इल्ज़ाम देते देते
ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया!
फुर्सत में करेंगे तुझसे हिसाब-ए-ज़िन्दगीफुर्सत में करेंगे तुझसे हिसाब-ए-ज़िन्दगीअभी तो उलझे है खुद को सुलझाने में...
इन कमबख्त़ जरूरतो और चाहतों ने मार डालाइन कमबख्त़ जरूरतो और चाहतों ने मार डाला;कभी जरूरतें पूरी नही होती तो कभी चाहतें बिखर जाती है;कभी चाहतें के पीछे भागो तो कभी जरूरतों पूरी करों;बस इसी में तालमेल बिठाते-बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है
ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का हैज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का हैना तो किसी को गम चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए
समझ ना आया ए ज़िन्दगी तेरा ये फ़लसफ़ासमझ ना आया ए ज़िन्दगी तेरा ये फ़लसफ़ाएक तरफ़ कहते हैं सब्र का फल मीठा हऔर दूसरी तरफ़ कहते हैं वक्त किसी का इंतज़ार नहीं करता