जब रूह किसी बोझ से थक जाती हैजब रूह किसी बोझ से थक जाती हैएहसास की लौ और भी बढ़ जाती हैमैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिनज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है
मत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगीमत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगीउस दौर से गुज़र रहा हूँ जो गुज़रता ही नहीं
मत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगीमत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगीउस दौर से गुज़र रहा हूँ जो गुज़रता ही नहीं
नेकियाँ खरीदी हैं हमने अपनी शोहरतें गिरवी रखकरनेकियाँ खरीदी हैं हमने अपनी शोहरतें गिरवी रखकरकभी फुर्सत में मिलना ऐ ज़िन्दगी तेरा भी हिसाब कर देंगे
कहीं छत थीकहीं छत थी, दीवार-ओ-दर थे कहीं, मिला मुझे घर का पता देर सेदिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे, मगर जो दिया, वो दिया देर से
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती!जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आतीमरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आतीबहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी सेउनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती