ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती है!ज़िन्दगी से पूछिये ये क्या चाहती हैबस एक आपकी वफ़ा चाहती हैकितनी मासूम और नादान है येखुद बेवफा है और वफ़ा चाहती है
छोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ कोछोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ को`ज़िन्दगी बस तू इतना बता!` कितना सफर बाकि है
आखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ सेआखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ सेकहाँ है वो शक्स जो तुझे मुझ से भी अज़ीज़ था
कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़रकितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़रखुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना!
मेरी इबादतों को ऐसे कबूल कर ऐमेरी इबादतों को ऐसे कबूल कर ऐ, मेरे खुदाकि सजदे में मैं झुकूं और मुझसे जुड़े हर रिश्ते की ज़िन्दगी संवर जाये