अश्क आंखों मेंअश्क आंखों में..अश्क आँखों में कब नहीं आतालहू आता है जब नहीं आताहोश जाता नहीं रहा लेकिनजब वो आता है तब नहीं आतादिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिशगिरिया कुछ बे-सबब नहीं आताइश्क का हौसला है शर्त वरनाबात का किस को ढब नहीं आताजी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदमहर सुखन ता बा-लब नहीं आता
दिल गया रौनक-ए-हयातदिल गया रौनक-ए-हयादिल गया रौनक-ए-हयात गईग़म गया सारी कायनात गई;दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़रलब तक आई न थी कि बात गईउनके बहलाए भी न बहला दिलगएगां सइये-इल्तफ़ात गईमर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिनइक मसीहा-नफ़स की बात गईहाय सरशरायां जवानी कीआँख झपकी ही थी के रात गईनहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसेग़ालिबन दूर तक ये बात गईक़ैद-ए-हस्ती से कब निजात 'जिगर'मौत आई अगर हयात गई
ऐ सबाऐ सबा, लौट के..ऐ सबा, लौट के किस शहर से तू आती हैतेरी हर लहर से बारूद की बू आती हैखून कहाँ बहता है इंसान का पानी की तरह;जिस से तू रोज़ यहाँ करके वजू आती हैधज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी;यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती हैअपने सीने में चुरा लाई है किस की आहें;मल के रुखसार पे किस किस का लहू आती है
दुनिया के ज़ोरदुनिया के ज़ोर..दुनिया के ज़ोर प्यार के दिन याद आ गयेदो बाज़ुओ की हार के दिन याद आ गयेगुज़रे वो जिस तरफ से बज़ाए महक उठीसबको भरी बहार के दिन याद आ गयेये क्या कि उनके होते हुए भी कभी-कभीफ़िरदौस-ए-इंत्ज़ार के दिन याद आ गयेवादे का उनके आज खयाल आ गया मुझेशक और ऐतबार के दिन याद आ गयेनादा थे जब्त-ए-गम का बहुत हज़रत-ए-'खुमार'रो-रो जिए थे जब वो याद आ गये
दिल गयादिल गया..दिल गया रौनक-ए-हयात गईग़म गया सारी कायनात गई;दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़रलब तक आई न थी कि बात गई;उनके बहलाए भी न बहला दिलगएगां सइये-इल्तफ़ात गई;हाय सरशरायां जवानी कीआँख झपकी ही थी के रात गई;नहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसेग़ालिबन दूर तक ये बात गई;क़ैद-ए-हस्ती से कब निजात 'जिगर'मौत आई अगर हयात गई
हमारा दिल सवेरे काहमारा दिल सवेरे का..हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाएचिरागों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाएमैं ख़ुद भी एहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँकोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाएअजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िरमोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाएसमंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमकोहवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए;मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगापरिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाएउजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए