कोई हँस रहा हैकोई हँस रहा है..कोई हँस रहा है कोई रो रहा हैकोई पा रहा है कोई खो रहा हैकोई ताक में है किसी को है गफ़लतकोई जागता है कोई सो रहा हैकहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराईकोई बीज उम्मीद के बो रहा हैइसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा ह
निगाहों का मर्कज़निगाहों का मर्कज़..निगाहों का मर्कज़ बना जा रहा हूँमोहब्बत के हाथों लुटा जा रहा हूँमैं क़तरा हूँ लेकिन ब-आग़ोशे-दरियाअज़ल से अबद तक बहा जा रहा हूँवही हुस्न जिसके हैं ये सब मज़ाहिरउसी हुस्न से हल हुआ जा रहा हूँन जाने कहाँ से न जाने किधर कोबस इक अपनी धुन में उड़ा जा रहा हूँन सूरत न मआनी न पैदा, न पिन्हाये किस हुस्न में गुम हुआ जा रहा हूँ
राहत-ए-जाँ से तो ये दिलराहत-ए-जाँ से तो ये दिल..राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का बवाल अच्छा हैउस ने पूछा तो है इतना तेरा हाल अच्छा हैमाह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा हैफिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा हैतेरे आने से कोई होश रहे या न रहेअब तलक तो तेरे बीमार का हाल अच्छा हैये भी मुमकिन है तेरी बात ही बन जाए कोईउसे दे दे कोई अच्छी सी मिसाल अच्छा हैदाएँ रुख़्सार पे आतिश की चमक वजह-ए-जमालबाएँ रुख़्सार की आग़ोश में ख़ाल अच्छा हैक्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है
वफ़ाएँ कर केवफ़ाएँ कर के..वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जाइसी तरह से ज़माने को आज़माए जाकिसी में अपनी सिफ़त के सिवा कमाल नहींजिधर इशारा-ए-फ़ितरत हो सिर झुकाए जावो लौ रबाब से निकली धुआँ उठा दिल सेवफ़ा का राग इसी धुन में गुनगुनाए जानज़र के साथ मोहब्बत बदल नहीं सकतीनज़र बदल के मोहब्बत को आज़माए जाख़ुदी-ए-इश्क़ ने जिस दिन से खोल दीं आँखेंहै आँसुओं का तक़ाज़ा कि मुस्कुराए जाथी इब्तिदा में ये तादीब-ए-मुफ़लिसी मुझ कोग़ुलाम रह के गुलामी पे मुस्कुराए जा
वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़मवफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म..वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जाइसी तरह से ज़माने को आज़माए जाकिसी में अपनी सिफ़त के सिवा कमाल नहींजिधर इशारा-ए-फ़ितरत हो सर झुकाए जावो लौ रबाब से निकली धुआँ उठा दिल सेवफ़ा का राग इसी धुन में गुनगुनाए जानज़र के साथ मोहब्बत बदल नहीं सकतीनज़र बदल के मोहब्बत को आज़माए जाख़ुदी-ए-इश्क़ ने जिस दिन से खोल दीं आँखेंहै आँसुओं का तक़ाज़ा कि मुस्कुराए जावफ़ा का ख़्वाब है 'एहसान' ख़्वाब-ए-बे-ताबीरवफ़ाएँ कर के मुक़द्दर को आज़माए जा
नसीब आज़माने के दिननसीब आज़माने के दिन..नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैंक़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैंजो दिल से कहा है जो दिल से सुना हैसब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैंअभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दोकि लुटने-लुटाने के दिन आ रहे हैंटपकने लगी उन निगाहों से मस्तीनिगाहें चुराने के दिन आ रहे हैंसबा फिर हमें पूछती फिर रही हैचमन को सजाने के दिन आ रहे हैंचलो 'फ़ैज़' फिर से कहीं दिल लगायेंसुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं