फिर निगाहों में धूल उड़ती है SHARE FacebookTwitter फिर निगाहों में धूल उड़ती है;अक्स फिर आइने बदलने लगेMore SHARE FacebookTwitter Tagsआइना शायरी
इक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूम; ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को मनाने के लिये आ!.......Read Full Shayari