बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँबेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँकोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों कोइसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
सच्चाई यह नहीं कि इंसान बदल जाते हैंसच्चाई यह नहीं कि इंसान बदल जाते हैंसच तो यह है कि नकाब उतर जाते हैं
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियाननाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियानवो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा
इक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूमइक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को मनाने के लिये आलज़्ज़त-ए-गिरिया: रोने के सुमहरूम: वंचिराहत-ए-जाँ: जो जान को सुख दे, प्रियेस