जब भी चूम लेता हूँ

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जब भी चूम लेता हूँ..
जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को
सौ चिराग अँधेरे में जगमगाने लगते हैं
फूल क्या शगूफे क्या चाँद क्या सितारे क्या
सब रकीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं
रक्स करने लगतीं हैं मूरतें अजंता की
मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं
फूल खिलने लगते हैं उजड़े-उजड़े गुलशन में
प्यासी-प्यासी धरती पर अब्र छाने लगते हैं
लम्हें भर को ये दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है
लम्हें भर को सब पत्थर मुस्कुराने लगते हैं

This is a great अजीब दुनिया शायरी. If you like आँखों का काजल शायरी then you will love this. Many people like it for शायरी आँखों की.

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