जो ख्याल थे, न कयास थे..जो ख्याल थे, न कयास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएजो मोहब्बतों की आस थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएजिन्हें मानता नहीं ये दिल, वो ही लोग मेरे हैं हमसफ़रमुझे हर तरह से जो रास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएमुझे लम्हा भर की रफ़ाक़तों के सराब बहुत सतायेंगेमेरी उम्र भर की प्यास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएये जो जाल सारे है आरजी, ये गुलाब सारे है कागजीगुल-ए-आरजू की जो बास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएमेरी धडकनों के करीब थे, मेरी चाह थे, मेरा ख्वाब थेवो जो रोज़-ओ-शब मेरे पास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए
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