ख्याल में वोख्याल में वो..ख्याल में वो, बेसुरती में वोआँखों में वो, अक्स में वोख़ुशी में वो, दर्द में वोआब में वो, शराब में वोलाभ में वो, बेहिसाब में वोमेरे अब हो लो, या जान मेरी लो
जो ख्याल थेजो ख्याल थे, न कयास थे..जो ख्याल थे, न कयास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएजो मोहब्बतों की आस थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएजिन्हें मानता नहीं ये दिल, वो ही लोग मेरे हैं हमसफ़रमुझे हर तरह से जो रास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएमुझे लम्हा भर की रफ़ाक़तों के सराब बहुत सतायेंगेमेरी उम्र भर की प्यास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएये जो जाल सारे है आरजी, ये गुलाब सारे है कागजीगुल-ए-आरजू की जो बास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गएमेरी धडकनों के करीब थे, मेरी चाह थे, मेरा ख्वाब थेवो जो रोज़-ओ-शब मेरे पास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए
दिल को आता है जब भी ख्याल उनकादिल को आता है जब भी ख्याल उनकातस्वीर से पूछते हैं फिर हाल उनकावो कभी हमसे पूछा करते थे जुदाई क्या हैआज समझ आया है हमें सवाल उनका
जब कोई ख्याल दिल से टकराता हैजब कोई ख्याल दिल से टकराता हैदिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता हैकोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता हैकोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!जब कोई ख्याल दिल से टकराता हैदिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता हैकोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता हैकोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है
किस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा हैकिस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा हैदिल आज तेरी याद को भूला हुआ सा हैगुलशन में इस तरह कब आई थी फसल-ए-गुलहर फूल अपनी शाख से टूटा हुआ सा हैशब्दार्थफसल-ए-गुल = बहार का मौस