अब किस से कहें और कौन सुने

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अब किस से कहें और कौन सुने..
अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ
ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की
वो नाम जो मेरे होंठों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ
उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़ुबानी याद हुआ
वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था
अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता नाशाद हुआ या शाद हुआ
बेनाम सताइश रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में
ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ

This is a great बहुत अच्छी शायरी. If you like अपने पराये शायरी then you will love this. Many people like it for मेरे अश्क शायरी.

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