अंदर का ज़हर चूम लिया...अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आए गएकितने शरीफ लोग थे सब खुल के आ गये.सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफसारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गये.मस्जिद में कोइ दूर-दूर दूसरा ना थाहम आज अपने आप में मिल-जुल के आ गये.नींदों से जंग होती रहेगी तमाम उम्रआँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के आ गये.सूरज ने अपनी शक्ल भी देखी थी पहली बारआईने को मज़े भी तक़ाबुल के आ गये.अनजाने साए फिरने लगे है इधर-उधरमौसम हमारे शहर में काबुल के आ गए
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