तेरे कमाल की हतेरे कमाल की हद कब कोई बशर समझाउसी क़दर उसे हैरत है, जिस क़दर समझाकभी न बन्दे-क़बा खोल कर किया आरामग़रीबख़ाने को तुमने न अपना घर समझापयामे-वस्ल का मज़मूँ बहुत है पेचीदाकई तरह इसी मतलब को नामाबर समझान खुल सका तेरी बातों का एक से मतलबमगर समझने को अपनी-सी हर बशर समझा
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