तुम्हारी मस्त नज़र..तुम्हारी मस्त नज़र अगर इधर नहीं होतीनशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होतीतुम्हीं को देखने की दिल में आरजूए हैंतुम्हारे आगे ही और ऊंची नज़र नही होतीख़फ़ा न होना अगर बढ़ के थाम लूं दामनये दिल फ़रेब ख़ता जान कर नहीं होतीतुम्हारे आने तलक हम को होश रहता हैफिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती
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