तुम्हारी मस्त नज़रतुम्हारी मस्त नज़र..तुम्हारी मस्त नज़र अगर इधर नहीं होतीनशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होतीतुम्हीं को देखने की दिल में आरजूए हैंतुम्हारे आगे ही और ऊंची नज़र नही होतीख़फ़ा न होना अगर बढ़ के थाम लूं दामनये दिल फ़रेब ख़ता जान कर नहीं होतीतुम्हारे आने तलक हम को होश रहता हैफिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती
प्यार करने की यह इस दिल को सज़ा दी जाएप्यार करने की यह इस दिल को सज़ा दी जाएउसकी तस्वीर सरे-आम लगा दी जाएख़त में इस बार उसे भेजिये सूखा पत्ताऔर उस पत्ते पे इक आँख बना दी जाएइतनी पी जाए कि मिट जाए मन-ओ-तू की तमीज़यानि ये होश की दीवार गिरा दी जाएआज हर शय का असर लगता है उल्टा यारोआज `शहज़ाद' को जीने की दुआ दी जाए