लगता नहीं है जी मेरा..लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार मेंकिस की बनी है आलम-ए-नापायेदार मेंकह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसेंइतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार मेंउम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिनदो आरज़ू में कट गये दो इंतज़ार मेंकाँटों को मत निकाल चमन से ओ बागबाँये भी गुलों के साथ पले हैं बहार मेंकितना है बदनसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लियेदो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार मेंअनुवादआलम-ए-नापायेदार = अस्थायी दुनियसय्याद = शिकार
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