हो गई है पीर पर्वत-सी....हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए;आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी;शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए;.हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव मेंहाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए;सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं;सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए;.मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही;हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
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