तेरी ख़ुशी से अगर ..तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी न हुई;वो जिंदगी तो मोहब्बत की जिंदगी न हुई;किसी की मस्त निगाही ने हाथ थाम लिया;शरीके हाल जहाँ मेरी बेखुदी न हुई;ख्याल-ए-यार सलामत तुझे खुदा रखे;तेरे बगैर कभी घर में रोशनी न हुई; .इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी;.कि हमने आह तो की उनसे आह भी न हुई; गए थे हम भी 'जिगर' जलवा गाहे-जानाँ में.वो पूछते ही रहे हम से बात भी न हुई
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