ख़ुशी मुख परख़ुशी मुख पर...ख़ुशी मुख पर प्रवासी दिख रही हैहंसी में भी उदासी दिख रही हैहमारे घर में घुस आई कहाँ सेकुटिलता तो सियासी दिख रही हैउसे खाते हैं खुश हो कर करोंड़ोंजो रोटी तुमको बासी दिख रही है।
तेरी ख़ुशी से अगर तेरी ख़ुशी से अगर ..तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी न हुई;वो जिंदगी तो मोहब्बत की जिंदगी न हुई;किसी की मस्त निगाही ने हाथ थाम लिया;शरीके हाल जहाँ मेरी बेखुदी न हुई;ख्याल-ए-यार सलामत तुझे खुदा रखे;तेरे बगैर कभी घर में रोशनी न हुई; .इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी;.कि हमने आह तो की उनसे आह भी न हुई; गए थे हम भी 'जिगर' जलवा गाहे-जानाँ में.वो पूछते ही रहे हम से बात भी न हुई
तबीयत इन दिनों बेगा़ना-ए-ग़म होती जाती हैतबीयत इन दिनों बेगा़ना-ए-ग़म होती जाती हैमेरे हिस्से की गोया हर ख़ुशी कम होती जाती हैक़यामत क्या ये अय हुस्न-ए-दो आलम होती जाती हैकि महफ़िल तो वही है, दिलकशी कम होती जाती हैवही मैख़ाना-ओ-सहबा वही साग़र वही शीशामगर आवाज़-ए-नौशानोश मद्धम होती जाती हैवही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता हैवही है शमः लेकिन रोशनी कम होती जाती हैवही है ज़िन्दगी अपनी 'जिगर' ये हाल है अपनाकि जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है
हमें आंसुओ से ज़ख्मो को धोना नहीं आताहमें आंसुओ से ज़ख्मो को धोना नहीं आतामिलती है ख़ुशी तो उसे खोना नहीं आतासह लेते हैं हर गम को जब हँसकर हमतो लोग कहते है कि हमें रोना नहीं आता
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँचंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँतेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँअनुवादनशात = खुशियामहव-ए-यास = दुखों में खोय
राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थीराह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थीदो गाम ही चले थे कि हर गाम रो पड़े