मैं बुरा ही सही भला न सहीपर तेरी कौन सी जफ़ा न सहीदर्द-ए-दिल हम तो उन से कह गुज़रेगर उन्हों ने नहीं सुना न सहीशब-ए-ग़म में बला से शुग़ल तो हैनाला-ए-दिल मेरा रसा न सहीदिल भी अपना नहीं रहा न रहेये भी ऐ चर्ख़-ए-फ़ित्ना-ज़ा न सहीक्यूँ बुरा मानते हो शिकवा मेराचलो बे-जा सही ब-जा न सहीउक़दा-ए-दिल हमारा या क़िस्मतन खुला तुझ से ऐ सबा न सहीवाइज़ो बंद-ए-ख़ुदा तो है 'ऐश'हम ने माना वो पारसा न सही
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