मैं आप लोगों ..मैं आप लोगों की दी हुईमुहब्बत पर इठलाता हूँइतने दिलों में रहता हूँ कि घर का पता भूल जाता हूँनहीं हुनर किसी में मेरे जैसालोगों को उंगलियो पर नाचता हूँकुछ लोग मुझे फरिश्ता कहते हैनफरत के स्कूलों में मुहब्बत पढता हूँखुशियों के बाज़ार में दूकान सजी हैआवाज लगा कर सौदागरों को बुलाता हूँनहीं यकीं तो तु मुझसे मिलकर देखमैं तुझे कैसे अपना बनता हूँ।
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