मैं आप लोगों मैं आप लोगों ..मैं आप लोगों की दी हुईमुहब्बत पर इठलाता हूँइतने दिलों में रहता हूँ कि घर का पता भूल जाता हूँनहीं हुनर किसी में मेरे जैसालोगों को उंगलियो पर नाचता हूँकुछ लोग मुझे फरिश्ता कहते हैनफरत के स्कूलों में मुहब्बत पढता हूँखुशियों के बाज़ार में दूकान सजी हैआवाज लगा कर सौदागरों को बुलाता हूँनहीं यकीं तो तु मुझसे मिलकर देखमैं तुझे कैसे अपना बनता हूँ।
सदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओसदियों से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओमाना कि तुमको प्यार नहीं, नफ़रत ही जताने आ जाओजिस मोड़ पे हमको छोड़ गए हम बैठे अब तक सोच रहेक्या भूल हुई क्यों जुदा हुए, बस यह समझाने आ जाओ