क्यूँ तबीअत कहींक्यूँ तबीअत कहीं..क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं;दोस्ती तो उदास करती नहीं;हम हमेशा के सैर-चश्म सही;तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं;शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह;कट तो जाती है पर गुज़रती नहींये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन;इतनी आसानियों से मरती नहीं.जिस तरह तुम गुजारते हो फ़राज़जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं
वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़मवफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म..वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जाइसी तरह से ज़माने को आज़माए जाकिसी में अपनी सिफ़त के सिवा कमाल नहींजिधर इशारा-ए-फ़ितरत हो सर झुकाए जावो लौ रबाब से निकली धुआँ उठा दिल सेवफ़ा का राग इसी धुन में गुनगुनाए जानज़र के साथ मोहब्बत बदल नहीं सकतीनज़र बदल के मोहब्बत को आज़माए जाख़ुदी-ए-इश्क़ ने जिस दिन से खोल दीं आँखेंहै आँसुओं का तक़ाज़ा कि मुस्कुराए जावफ़ा का ख़्वाब है 'एहसान' ख़्वाब-ए-बे-ताबीरवफ़ाएँ कर के मुक़द्दर को आज़माए जा
फ़ुरसत-ए-कार फ़क़तफ़ुरसत-ए-कार फ़क़त..फ़ुरसत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है यारोये न सोचो के अभी उम्र पड़ी है यारोअपने तारीक मकानों से तो बाहर झाँकोज़िन्दगी शमा लिए दर पे खड़ी है यारोउनके बिन जी के दिखा देंगे चलो यूँ ही सहीबात इतनी सी है कि ज़िद आन पड़ी है यारोफ़ासला चंद क़दम का है मना लें चल करसुबह आई है मगर दूर खड़ी है यारोकिस की दहलीज़ पे ले जाके सजाऊँ इस कोबीच रस्ते में कोई लाश पड़ी है यारोजब भी चाहेंगे ज़माने को बदल डालेंगेसिर्फ़ कहने के लिये बात बड़ी है यारो
वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं कावफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का..वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जाइसी तरह से ज़माने को आज़माए जाकिसी में अपनी सिफ़त के सिवा कमाल नहींजिधर इशारा-ए-फ़ितरत हो सिर झुकाए जावो लौ रबाब से निकली धुआँ उठा दिल सेवफ़ा का राग इसी धुन में गुनगुनाए जानज़र के साथ मोहब्बत बदल नहीं सकतीनज़र बदल के मोहब्बत को आज़माए जाख़ुदी-ए-इश्क़ ने जिस दिन से खोल दीं आँखेंहै आँसुओं का तक़ाज़ा कि मुस्कुराए जावफ़ा का ख़्वाब है 'एहसान' ख़्वाब-ए-बे-ताबीरवफ़ाएँ कर के मुक़द्दर को आज़माए जा
हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं हैहर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं हैएक तू ही नहीं हैनज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैंख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैंकहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं हैहर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक हैहर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक हैतू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं हैहसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं हैयादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं हैयादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है
तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने कोतुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने कोचले जाएँगे जब हम कभी ना वापस आने कोकरेगा महफ़िल मे जब ज़िक्र हमारा कोईतब आप भी तन्हाई ढूंढोगे आँसू बहाने को।