ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गएवो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ गएयारान-ए-बज़्म जुरअत-ए-रिंदाना क्या हुईउन मस्त अँखड़ियों के इशारे कहाँ गएएक और दौर का वो तक़ाज़ा किधर गयाउमड़े हुए वो होश के धारे कहाँ गएदौरान-ए-ज़लज़ला जो पनाह-ए-निगाह थेलेटे हुए थे पाँव पसारे कहाँ गएबाँधा था क्या हवा पे वो उम्मीद का तिलिस्मरंगीनी-ए-नज़र के ग़ुबारे कहाँ गएबे-ताब तेरे दर्द से थे चाराग़र 'हफ़ीज'क्या जानिए वो दर्द के मारे कहाँ गए
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