जब भी मिलता

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जब भी मिलत
जब भी मिलता हूँ तुझसे
मेरी ज़िन्दगी उदास हो जाती है
मेरी हर धड़कन ख़ामोश हो जाती है;
तेरी सुरमई आँखों की कसम
मेरी मोहब्बत सरे-बाज़ार बदनाम हो जाती है
तेरी धुंधली यादें सरे-आम मुझको डसती हैं
जब भी चेहरे से तू नक़ाब उठाती है
तेरे दर्द का सिलसिला तब तक चलता रहता है
जब तक तू न नज़रें मेरे चेहरे से हटाती है
जब भी मिलता हूँ तुझसे
मेरी ज़िन्दगी उदास हो जाती है

This is a great मेरे अपने शायरी. If you like मेरे अश्क शायरी then you will love this. Many people like it for मेरे अहसास शायरी.

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