दिल गया रौनक-ए-हयादिल गया रौनक-ए-हयात गईग़म गया सारी कायनात गई;दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़रलब तक आई न थी कि बात गईउनके बहलाए भी न बहला दिलगएगां सइये-इल्तफ़ात गईमर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिनइक मसीहा-नफ़स की बात गईहाय सरशरायां जवानी कीआँख झपकी ही थी के रात गईनहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसेग़ालिबन दूर तक ये बात गईक़ैद-ए-हस्ती से कब निजात 'जिगर'मौत आई अगर हयात गई
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