वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनेंवो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनेंये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोईग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनेंकभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनेंकमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना थावो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें"क़तील" जिसकी अदावत में एक प्यार भी थाउस आदमी को गले से लगा लिया मैनें
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