दिल-ए-नादाँ तुझेदिल-ए-नादाँ तुझे..दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या हैआख़िर इस दर्द की दवा क्या हैहमकों उनसे वफ़ा की है उम्मीदजो नहीं जानते वफ़ा क्या है;हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ारया इलाही ये माज़रा क्या हैजब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूदफिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या हैजान तुम पर निसार करता हूँमैं नहीं जानता दुआ क्या है
वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनेंवफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनेंवो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनेंये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोईग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनेंकभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनेंकमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना थावो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें"क़तील" जिसकी अदावत में एक प्यार भी थाउस आदमी को गले से लगा लिया मैनें
वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनेंवफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनेंवो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनेंये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोईग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनेंकभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनेंकमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना थावो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें"क़तील" जिसकी अदावत में एक प्यार भी थाउस आदमी को गले से लगा लिया मैनें
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुकये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुकना लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के