बेखुदी ले गयी कहाँ..बेखुदी ले गयी कहाँ हम कोदेर से इंतज़ार है अपनारोते फिरते हैं सारी-सारी रातअब यही रोज़गार है अपनादे के दिल हम जो हो गए मजबूरइस में क्या इख्तियार है अपनाकुछ नही हम मिसाले-अनका लेकशहर-शहर इश्तिहार है अपनाजिस को तुम आसमान कहते होसो दिलों का गुबार है अपना
This is a great कहाँ हो तुम शायरी. If you like कहाँ हो शायरी then you will love this. Many people like it for बेखुदी शायरी फेसबुक. Share it to spread the love.